20 ओर 21 दिसंबर को लक्ष्मी नारायण कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, (एलएनसीटी एंड एस) में ” इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन एक्सपेंडिंग होराइजंस इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड डाटा साइंस” का आयोजन हाईब्रिड मोड में किया गया। समापन समारोह में मुख्य अतिथि, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) के कुलपति प्रोफेसर राजीव त्रिपाठी ने कहा कि हर 5 से 10 साल के बीच हम टेक्नोलॉजी में नए शब्द सुनते हैं, हम जब उन्हें समझते है तो हम पाते हैं कि वे विषय विशेष की एप्लीकेशन हैं और आपके यदि फंडामेंटल क्लियर है तो आप उससे पार पा सकते है, आपने कहा कि की विषय को आनंद के साथ समझे , जाने , किसी प्रकार का भार महसूस न करें और जब आप विषय को एंजॉय करना शुरू कर देंगे तो आपको रिसर्च में सफलता मिलना प्रारंभ हो जाएगी। एलएनसीटी समूह के सचिव, डॉ. अनुपम चौकसे कहा कि इस प्रकार की कॉन्फ्रेंस आपको रियल लाइफ प्रॉब्लम के सॉल्यूशन प्रदान करती हैं, ओर आपके द्वारा अर्जित ज्ञान को आप सभी तक पहुंचने का कार्य करें, तभी अर्जित ज्ञान की उपयोगिता है।
कॉन्फ्रेंस के शुभारंभ अवसर पर
मुख्य वक्ता साउथ डकोटा विश्वविद्यालय , अमेरिका के कंप्यूटर विज्ञान विभाग के प्रोफेसर श्री के. सी. संतोष ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के अच्छे और बुरे , दोनों पहलुओं पर खुलकर चर्चा की , आपकी विशिष्ट प्रेजेंटेशन शैली ने ज्ञान वर्धन को रोचक बनाया।
आपने “ग्रीन कम्प्यूटिंग इज़ आल व्हॉट यू नीड – सस्टेनेबल ए आई सॉल्यूशन ” पर अपने शोध कार्य पर प्रकाश डाला
आपने कहा कि भारतीय हार्डवर्किंग, डिटरमाइंड होते है, आपने कहा कि भारत का कल्चर बहुत समृद्ध हे, आपने रामायण, गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी के उदाहरण देते हुए कहा कि भारत ने सुख, शांति का संदेश दिया है। आपने कहा कि डेटा साइंस और एआई में रिसर्च की अनंत संभावनाएं हैं, पर हमें ऐसी रिसर्च करना चाहिए जो समाज में खुशहाली लाए।
इस अवसर पर एलएनसीटी समूह की वाइस चेयरपर्सन श्रीमती पूनम चौकसे ने सभी से मन लगाकर ज्ञान अर्जन करने का आह्वान किया। डॉ. अशोक कुमार राय, डॉयरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन ने कांफ्रेंस की सफलता पर सभी को बधाई दी। प्राचार्य प्रो.(डा.) वी एन बरतरिया ने स्वागत भाषण दिया। कॉन्फ्रेंस की विस्तृत रिपोर्ट डा. भूपेश गौर ने प्रस्तुत की ।
धन्यवाद ज्ञापन, प्रो.( डॉ.) अमितबोध उपाध्याय ने दिया। कॉन्फ्रेंस में 300 से अधिक रिसर्च पेपर प्राप्त हुए, 250 का चयन हुआ , हाइब्रिड मोड में चार समानांतर सत्र में 200 से अधिक शोध पड़े गए।